नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम।
पाणौ महासायकचारूचापं, नमामि रामं रघुवंशनाथम॥
नील कमल के सामान श्यामल, सुन्दर, सांवले और कोमल अंग वाले। जिन के बाईं ओर सीता माता विराजमान होकर के इस दृश्य को और भी सुशोभित करती है। जिनके दोनों हाथो में अमोघ धनुष और बाण इस प्रिय छवि को और भी निखारते हैं। उन रघुकुल के शिरोमणि को हम नमस्कार करते हैं, प्रणाम करते हैं।